बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन
प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
अथवा
ब्रिटिश समिति प्रणाली पर लेख लिखिए।
सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ब्रिटिश लोकसदन के अध्यक्ष के ऊपर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
2. लोकसदन की शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
ब्रिटिश समिति प्रणाली
आज विश्व के सभी देशों में कानून निर्माण का कार्य अधिक बढ़ जाने व सदन के सदस्यों के द्वारा अपने सीमित समय में सभी विषय पर उचित प्रकार के कानून निर्माण सम्बन्धी बाधाओं वं जटिलताओं के समाधान के लिए समिति प्रणाली को अपनाया जाता है और इससे व्यवस्थापन कार्य को संपन्न करने में भी सहायता मिलती है। ब्रिटेन में समिति प्रणाली का प्रारम्भ महारानी एलिजाबेथ के समय में हुआ जब विधेयकों पर अच्छी तरह से चार करने के लिए उन्हें प्रवर समितियों के हवाले किया जाता था और इस प्रकार ब्रिटेन में सुव्यवस्थित ढंग से समिति प्रणाली का संगठन 1882 से किया गया। वर्तमान समय में लोक कल्याणकारी राज्य की धारणा को अपनाने से राज्य के कार्य बढ जाने के कारण समिति प्रणाली का महत्व और बढ़ गया है। हरमन फाइनर के अनुसार हाल में जो समितियों का प्रादुर्भाव हुआ है उसका कारण उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी में व्यवस्थापन कार्य में वृद्धि है। आधुनिक सरकार के कर्त्तव्यों की व्यापकता के कारण समिति में होने वाली कार्यवाही को सदन में जाने से काफी समय लगता है। समिति प्रणाली का मुख्य उद्देश्य कामन्स सभा के कार्य भार को कम करना है।
समितियों के कार्य
आज समितियाँ व्यवस्थापन सम्बन्धी बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती है। ब्रिटेन में समितियों की स्थिति हाउस आफ कामन्स की अधीनस्थ संस्थाओं की है। इनका मुख्य विधेयकों के सिद्धान्त पर विचार करना नहीं वरन् उनके प्रारूप का सुधार करना है। ब्रिटेन की व्यवस्था प्रक्रिया के अनुसार द्वितीय वाचन के प्रारम्भिक चरण में सदन विधेयकों को अपनी स्वीकृति प्रदान कर देता है। इसके बाद विधेयक समिति के सुपुर्द किया जाता है और समितियाँ इन विधेयकों को सुधारने के लिए संशोधन का सुझाव देती हैं और फिर सदन इन पर दोबारा विचार करती है। इसके साथ ही सदन इन सुझावों को मानने या न मानने के लिए बाध्य नहीं है और अन्तिम निर्णय सदन के द्वारा ही लिया जाता है। समितियों का कार्य सिर्फ परामर्श देने का है निर्णय देने का नहीं। हरमन फाइनर के अनुसार "अपनी स्थिति एवं कार्य की दृष्टि से समितियों की स्थिति संपूर्ण सदन के प्रति अधीनता की है, उनकी शक्ति इतनी नहीं है कि वे विधेयकों को जीवित रख सके अथवा उन्हें समाप्त कर सके। संशोधनों की सफाई करने के लिए वे नीचे काम करने वाली परिचायिकाओं की भांति हैं और उनका कार्य पूर्व निर्मित विधेयक के द्वितीय वाचन, अपने प्रतिवेदन तथा विधेयक के तृतीय वाचन ( जब उनके प्रतिवेदन पर विचार होता) तक सीमित है।'
समितियों के प्रकार
ब्रिटेन में निम्नांकित प्रकार की समितियाँ पाई जाती हैं-
1. संपूर्ण सदन की समिति (Committee of whole House) - यह प्रमुख समिति है। इसका तात्पर्य संपूर्ण सदन से है। इस संमिति की अध्यक्षता स्पीकर नहीं वरन् कोई अन्य निर्वाचित व्यक्ति करता है। समिति का अध्यक्ष स्पीकर के स्थान पर नहीं वरन् क्लर्क के पास बैठता है। समिति के रूप में सदन की प्रक्रिया संबंधी नियम शिथिल कर दिये जाते हैं।
संपूर्ण सदन की समिति में मुख्यतः वित्त विधेयकों पर विचार किया जाता है। वित्त विधेयकों के दो आग हेते हैं- आय और व्यय। जब यह समिति व्यय पर विचार करती है तो इसे 'पूर्ति समिति। (Commoittee on Ways and Means) कहते हैं। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण और आवश्यक समझे जाने वाले विषय भी इसके समक्ष रखे जाते हैं।
2. प्रवर समिति (Select Committee) - इस समिति में 15 सदस्य होते हैं। इसके सदस्य प्रायः उन विषयों के विशेषज्ञ होते हैं, जिन विषयों के विधेय समितियों को सौंप जाते हैं। ये समितियाँ दो प्रकार की होती हैं -
(अ) तदर्थ प्रवर समितियाँ (Ad-hoc select committee) - ये अस्थाई होती हैं।
(ब) सत्रात्मक प्रवर समितियाँ (Sessional Select Committee) - ये समितियाँ सत्र
के आरम्भ में नियुक्त की जाती हैं और अंत तक चलती रहती है।
ये समितियाँ बहुत शक्तिशाली होती हैं। इन्हें खुले अधिवेशन करने एवं गवाही के लिए किसी को भी बुलाने- का अधिकार होता है।
3. सत्रीय समितियाँ (Sessional Committees) - कुछ प्रवर समितियाँ प्रत्येक सत्र के प्रारम्भ में संपूर्ण सत्र के लिए बनाई जाती हैं और इन्हें विशिष्ट सौंपे जाते हैं। इनकी संख्या 8 से 10 तक होती है। इनमें कुछ उल्लेखनीय समितियाँ हैं -
(अ) विशेषाधिकार समिति (Previlege Committee) - ये सदस्यों एवं सदन के विशेषाधिकार संबंधी विषयों पर अपना परामर्श देती है।
(ब) लोक लेखा समिति ( Public Accounts Committee) - यह 'आडीटर एवं कन्ट्रोलर जनरल की रिपोर्ट पर विचार करती है और ये उसके आधार पर संबंधित विभागों के. अधिकारियों की जांच करती है तथा अपनी रिपोर्ट देती है। ये आर्थिक अनियमितताओं को दूर करने का सुझाव देती है और ब्रिटेन की सर्वाधिक शक्तिशाली समिति कही जाती है। इसका अध्यक्ष विरोधी दल से होता है।
(स) प्राक्कलन समिति (Estimate Committee) - यह सरकारी विभागों के संगठनों और उसके कार्यों की जांच करती है। इसे सार्वजनिक व्यय समिति कहते हैं।
इसके अतिरिक्त अन्य सत्रीय समितियाँ हैं चयन समिति, अनुमान संमिति, स्थायी आदेश समिति, परिनियम व्यवस्थापन समिति, राष्ट्रीयकृत उद्योग समिति आदि। इनमें सबसे प्रमुख चयन समिति होती है जिसमें 11 सदस्य होते हैं और सभी दलों का प्रतिनिधित्व रहता है। चयन समिति ही स्थायी समितियों, प्रवर समितियों, अनुमान समिति के लिए सदस्य नामजद करती है।
4. स्थायी समितियाँ (Standing Committees) - स्थायी समितियाँ ही अधिकतम व्यवस्थापन का कार्य करती हैं। अधिकतर विधेयक इन्हीं समितियों के सुपुर्द किये जाते हैं।
ब्रिटेन में कुल पांच स्थायी समितियाँ हैं। प्रथम चार समितियाँ A, B, C, D कहलाती हैं ऐं और पांचवीं 'स्काटलैंड' की संमिति कहलाती है। यह केवल स्काटलैंड के मामलों पर विचार करती है।
स्थायी समिति के अध्यक्ष व सदस्य चयन समिति' से लिये जाते हैं !
स्थायी समितियों का कार्य विधेयकों के प्रारूप मंए संशोधन करना होता है। अपने प्रतिवेदन के साथ विधेयक को सदन के विचारार्थ रखती है।
5. संयुक्त समितियाँ (Joint Committees) - ये समितियाँ कभी-कभी तदर्थ रूप में किसी विशेष कार्य के लिए दोनों सदनों के बराबर संख्या में सदस्यों को लेकर स्थापित की जाती हैं ये प्रवर समितियों की तरह होती हैं और उनमें विशेषज्ञ सदस्य होते हैं।
6. व्यक्तिगत विधेयक समितियाँ (Private Bills Committeess) - यह समिति केवल व्यक्तिगत विधेयकों पर ही विचार करने का कार्य करती हैं। 'कामन्स सभा में निजी विधेयक समिति की संख्या चार तथा लार्ड सभा में पांच होती है। इसके सदस्य चयन समिति के द्वारा चुने जाते हैं। ये अर्द्ध न्यायिक समितियाँ होती हैं। इन समितियों का निर्णय प्रायः अन्तिम होता है क्योंकि कामन्स सभा इनके प्रतिवेदन के विरुद्ध नहीं करता।
ब्रिटेन की समिति व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता बताई गई है। 1968-69 सत्र की कार्य प्रणाली निर्धारक प्रवर समिति ने अपने प्रतिवेदन में कुछ सिफारिशें की थीं जिनके आधार पर अक्टूबर 1970 से 'लोक सदन की प्रवर समितियाँ शीर्षक से एक प्रतिवेदन तैयार किया। इनके आधार पर अब 'प्रवर संमितियों' का निर्माण होता है।
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- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
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- प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
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- प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
- प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।